Wednesday 10 July 2019

SEO बेसिक्स 2018 : बचना होगा इन गलतियों से

 SEO बेसिक्स 2018 : बचना होगा         इन गलतियों से


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हैलो फ्रैंड्स DigitalSteps में आपका स्वागत है. हम बात करने जा रहे हैं उन गलतियों की जो अक्सर SEO में भूल या लापरवाही से हो जाती हैं.
आम तौर पर जब सर्विस प्रोवाईडर खुद को इंटरनेट के प्लटफॉर्म पर सर्च एंजिन ऑप्टिमाईजेशन में टॉप पर रखना चाहता है तो वो SEO में गैर जानकारी या सतर्क न होने के कारण कई गलतियां कर बैठता है. लेकिन साईट और कंटेंट के ऑप्टिमाईजेशन में सतर्कता बरतने पर प्रॉफिटेबल रिटर्न हासिल किया जा सकता है. साथ ही सर्च विजिविलिटी को फास्ट ट्रैक किया जा सकता है. DigitalSteps आपकी समस्या न केवल समझने में आपकी मदद कर सकता है बल्कि उसे आसानी से हल करने में भी व्यापक मददगार है.

SEO 2018 में आपको इन गलतियों से बचना होगा

  • SEO में कंटेंट का न दिखना– बहुत से सर्विस प्रोवाईडर जो सालों की मेहनत से अपनी सेवाओं के बारे में कंटेंट को तैयार कर रहे हैं, वाजिब ऑडिएंस नहीं जुटा पा रहे. कारण सामान्य है टारगेट ऑडिएंस की रुचि के माकूल कंटेंट होने के बावजूद यदि यूजर्स उस तक आसानी से नहीं पहुंच पाते तो सारी मेहनत पर पानी फिरना लाजिमी भी है. यदि आप SEO के काम में रत हैं तो आपको अपने कंटेंट की विजिविलिटी और विजिटर की रुचि के साथ एविलिबिलिटी को भी चेक करना होगा. यदि इन दोनों पर आपने ध्यान नहीं रखा तो आपकी SEO पर की गई मेहनत जाया होते देर नहीं लगेगी.
  • लो कॉम्पटीशन कीवर्ड पर अति निर्भरता– DigitalSteps की स्टडी के दौरान देखने में आया है कि उभरते बेव एड्रेस प्रतियोगी टर्म पर हाई सर्च रैंकिंग जुटाने में पिछड़ जाते हैं. नई शुरुआत में ऐसी भूल भारी पड़ती है क्योंकि इंटरनेट के कल्चर में सर्विस प्रोवाईडर को टॉप सूची में बने रहना जरूरी है. अब तो सिर्फ सेंसेक्स और निफ्टी ही नहीं पॉलिटिक्स से लेकर खेल जगत तक में रैंकिंग का खुमार छाया हुआ है. 24 घंटे AM से लेकर PM तक आवाम डाटा शेयरिंग में व्यस्त है. दुर्भाग्यवश कई सर्विस प्रोवाईडर मुख्य तौर पर हाई कॉम्पटीशन कीवर्ड्स (टू ऑर थ्री वर्ड्स कॉम्बिनेशन) पर ध्यान केंद्रित करते हैं लेकिन ये तरीका ट्रैफिक जुटाने में हमेशा कारगर नहीं होता. बेहतर होगा आप लो-कॉम्पीटीशन कीवर्ड्स पर काम करें क्योंकि ज्यादा जानकारी मिलने से यूजर कंटेंट को हिट करता है. जो कि आपका भी टारगेट है.
  • टारगेट ऑडिएंस की रुचि को न भांपना– SEO की सबसे बड़ी चूक गलत एल्गोरिदम से मूर्ख बनाने की होती है. कई सर्विस प्रोवाईडर्स का सोचना होता है कि वो गलत जानकारी के बूते यूजर्स का ध्यान खींच सकते हैं, जबकि हकीकत इसके विपरीत है. वास्तव में सर्विस प्रोवाईडर का कंटेंट सम्मोहक होना चाहिए. SEO में इसके अलावा अन्य बातें दूसरे क्रम पर रखना चाहिए. यदि सर्चर और सर्च एंजिन की वरीयता को ख्याल में रखा तो फिर ये दोनों भी सर्विस प्रोवाईडर को सर आंखों पर बैठाते हैं. मतलब सर्विस प्रोवाईडर की टॉप लिस्टिंग तय है. इसके लिए यूजर्स की रुचि को न केवल भांपना होगा, बल्कि उसके लिहाज से सम्मोहक कंटेंट भी तैयार करना होगा. तो SEO में ऑडिएंस और सर्च एंजिन्स के माकूल सर्च इंटेंट को अपने कंटेंट में शामिल करना न भूलें.
  • सिर्फ व्यापक सर्च टर्म पर ध्यान देना SEO बिगिनर्स विशिष्ट और विस्तृत लॉन्ग ट्रेल के बजाए ब्रॉड और बेसिक सर्च टर्म पर ध्यान देते हैं. SEO में विशिष्ट और विस्तृत लॉन्ग ट्रेल से बेहतर रिजल्ट मिलते देखे गए हैं. कोई भी यूजर किसी कंटेंट में सीखने के लायक काम की चीज, स्पष्टता और नवीनता की तलाश करता है यदि ये कंटेंट में नहीं तो यूजर्स सर्विस प्रोवाईडर से ऊब कर किनारा भी कर सकते हैं. जो ब्रॉड सर्च टर्म होती है वो हाई कॉम्पटीशन कीवर्ड पर आधारित होती है. ब्रॉड टर्म मेंसर्च एंजिन रिजल्ट पेज अधिक विज्ञापन वालों को वरीयता देता है. नए सर्विस प्रोवाईडर के तौर पर वेबएड्रेस पर विज्ञापनपर काफी खर्च करना पड़ता है. और यदि सर्विस प्रोवाईडर प्रचार केलिए यदि विज्ञापन पर मोटी रकम खर्च कर सकता है तो फिर उसे SEO की क्या जरूरत? हालांकि अब कई कंपनियां पेशवर तरीके से सर्विस प्रोवाईडर्स को अपनी सर्विस दे रहीं हैं.

  • मानदंडों को भूलना– कई सर्विस प्रोवाईडर वेब के ठिकाने के बारे जैसे पेज टाईटल्स, मेटा डिस्क्रिप्शन, इमेज फाईल नेम और ऑल्ट टेक्स्ट, यूआरएल इत्यादि के बारे में जानकारी नहीं दे पाते. ये भी बड़ी खामी है इससे बचना चाहिए. सर्च एंजिन अपनी सर्च के दौरान इन एलीमेंट्स पर व्यापक रूप से नजर रखता है और श्रेष्ठ का चयन अपनी वरीयता में देता है. इन माध्यमों से ही सर्विस प्रोवाईडर की व्याख्या हो जाती है कि वो किस तरह की सर्विस दे रहा है. तो ख्याल रखें अदृश्य जानकारियों की भी खानापूर्ति पूरी सतर्कता से करना SEO में महत्वपूर्ण है. साथ ही किस शब्द से बेस्ट क्लिक रेट्स मिल रहीं हैं इस बारे में भी नियमित पड़ताल जरूरी है. प्रत्येक सर्विस प्रोवाईडर को इंटरनेट के मापदंडों का ठीक उसी तरह से पालन करना होगा जैसा सम्मानित इंसान समाज में प्रतिष्ठा के लिहाज से करता है. ख्याल रखें इंटरनेट पर आपकी प्रतिष्ठा तब भी दांव पर रहती है जब आप सो जाते हैं. ऑप्टिमाईजेशन में इन मापदंडों पर रहनी चाहिए पैनी नजर-
  1. टाईटल टैग फाउंड– यानी यूजर्स को टाईटल टैग मिलना चाहिए.
  2. टाईटल 66 कैरेक्टर– सर्च एंजिन अपनी खोज में 60 से 66 अक्षरों के टाईटल को प्राथमिकता देता है.
  3. वन टाईटल टैग– क्या आपने कभी दो से तीन टाईटल वाली फिल्म का नाम सुना है? नहीं न. मतलब छोटा और आकर्षक टाईटल टैग आपको देगा अलग पहचान.
  4. प्रचलित कीवर्ड– टाईटल में प्रचलित कीवर्ड्स का इस्तेमाल प्रोवाईडर की सर्विस के बारे में लोगों तक पहुंच को बढ़ाता है.
  5. कीवर्ड इन H-1 हेडलाईन– सभी प्रमुख हेडलाईन्स में सर्विस रिलेटेड कीवर्ड होना जरूरी है.
  6. मेटा डिस्क्रिप्शन– मेटा डिस्क्रिप्शन में महत्वपूर्ण जानकारियों का समावेश करें क्योंकि यही सर्च एंजिन की खोज के रिजल्ट में प्रारंभिक रूप में प्राथमिक जानकारी बतौर दिखाए जाते हैं.
  7. मेटा डिस्क्रिप्शन और टारगेट कीवर्ड– आम मान्यता है कि 157 कैरेक्टर्स से कम का सशक्त मेटा डिस्क्रिप्शन SEO को मजबूती देता है. इसमें टारगेट कीवर्ड का इस्तेमाल बहुत जरूरी है.
  8. URL-129– सर्विस प्रोवाईडर का यूआरएल 129 कैरेक्टर्स के भीतर बनाया जाना चाहिए.
  • अतिरिक्त शब्दों की भरमार– सर्विस से जुदा ज्यादा शब्दों की भरमार भी यूजर्स को ठीक नहीं लगतीं इसलिए कंटेंट में व्यापकता के साथ स्पष्टता रखना बहुत जरूरी है. गलत हेडिंग से परोसा गया कंटेंट पढ़ने-देखने यूजर फिर दोबारा नहीं फटकता. रैंकिंग बढ़ाने के लिए इस ट्रिक से बचें क्योंकि इसमें आपका ही नुकसान है. सर्च एंजिन्स की इन साईट्स को न केवल चुटकियों  में ढूंढ़ निकालते हैं बल्कि जरूरी होने पर दंड भी देते हैं. इसलिए इंटरनेट पर वह सब करने से बचें जो समाज में आप अपनी प्रतिष्ठा खोने से बचते हैं.

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  • इंटरनल लिंक न बनाना– ट्रैफिक जनरेट होने पर SEO में यूजर्स के लिए इंटरनल लिंक न बनाना भी बड़ी भूल है. इंटरनल लिंक के जरिए यूजर्स के सामने अपनी सर्विस को और विस्तार से आसानी से रखा जा सकता है. जिससे यूजर्स वेब एड्रेस पर ज्यादा वक्त भी बिताता है.
  • नतीजों का अनुमान न लगाना– नौसिखिया SEO को नतीजों का अनुमान लगाए ही काम करते देखा गया है.SEO में बड़े पैमाने पर डाटा का खेल होता है. अगर डाटा का सटीक परीक्षण नहीं किया जाए तो नतीजे उलट भी हो सकते हैं.प्रोफेशनलSEOभी कंटेंट के नतीजों को पहले परखने की सलाह देते हैं. इंटरनेट की भंवर में सर्फ करें DigitalSteps के साथ. SEO से जुड़ीं और महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए क्लिक करें DigitalSteps पर. DigitalSteps सफर तरक्की का.

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